उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित फूलों की घाटी १० किमी लंबे और २ किमी चौड़े क्षेत्र में फैली है। यह समुद्र तल से 5091 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। फूलों की घाटी चारों ओर फूलों से भरी होती है। जहां तक नजर जाती है, रंग-बिरंगे फूलों की सुंदरता आंखों और मन को असीम सूकुन देती है। वहीं शांति और आनंद महसूस होता है, जो अध्यात्मिक या तीर्थ यात्रा द्वारा मिलता है। फूलों की घाटी एक बड़े फूलों के बाग की तरह दिखाई देती है। यहां पर बर्फ के पिघलने के बाद जून से लेकर अगस्त के महीने में अलग-अलग रंगों के फूलों की भरमार देखी जाती है। जैसे जून में सफेद फूल, जुलाई में लाल फूल और अगस्त में पीले फूल अधिक दिखाई देते हैं। इन फूलों के बीच दूसरे रंगों के फूल से ऐसा मनोरम दृश्य बनता है, जैसे ईश्वर ने खुद अपने हाथों से रंग-बिरंगी रंगोली बनाई हो। फूलों की घाटी का पूर्ण रूप देखने के लिए जुलाई-अगस्त ही सबसे अच्छा होता है। फूलों की घाटी में फैली फूलों की सुंदरता के साथ उनकी सुगंध, उन पर मंडराती तितलियां, भंवरे, पक्षियों की चहचहाहट घाटी को नई ऊर्जा, उमंग और उल्लास से भर देती हैं। फूलों की घाटी में लगभग 300 तरह के फूलों की प्रजातियां पाई जाती हैं। अनेक जंगली प्राणियों की जातियां भी यहां देखी जा सकती हैं। इनमें हिरण और हिमालयी भालू प्रसिद्ध हैं।
इस घाटी के एक तरफ पर्वत चोटियां हैं, जहां से पुष्पावती नदी बहती है। नर पर्वत फूलों की घाटी को बद्रीनाथ की घाटी से अलग करता है। ऊंचे पर्वतों से निकलती अनेक जलधाराएं फूलों की घाटी से दिखाई देती हैं। ये जलधाराएं पुष्पावती नदी में आकर मिल जाती हैं। फूलों की घाटी चार महीने के लिए खुली रहती है। जून से लेकर सितम्बर का समय सबसे अच्छा होता है। बाकी समय बर्फबारी और ठंड के कारण फूलों की सुंदरता नहीं देखी जा सकती है। लेकिन फूलों से रहित बर्फ से ढंकी घाटी भी बहुत ही मनोरम दिखाई देती है।
कैसे पहुंचें फूलों की घाटी
फूलों की घाटी भारत के उत्तरांचल प्रदेश के ऋषिकेश-बद्रीनाथ मार्ग पर स्थित है। यहां आने के दो रास्ते हैं- एक रास्ता ऋषिकेश से श्रीनगर, कर्णप्रयाग, जोशीमठ होते हुए गोविंदघाट का 270 किमी लंबा मार्ग। इस मार्ग में अनेक पवित्र नदियों अलकनंदा, भगीरथी, पिंडर, मंदाकिनी के दर्शन होते हैं। दूसरा रास्ता हल्द्वानी से रानीखेत, कर्णप्रयाग, जोशीमठ होते हुए गोविंदघाट का 332 किमी लंबा है।
ऋषिकेश से आगे जोशीमठ से ही फूलों की घाटी की यात्रा शुरू होती है। जोशीमठ से लगभग 20 किमी आगे गोविन्दघाट है। इस स्थान से आगे लगभग 18-19 किमी पैदल मार्ग है। इस मार्ग में पुलना, भ्यूडांर, घाघरिया होकर फूलों की घाटी में पहुंचा जा सकता है। फूलों की घाटी के लिए सबसे अच्छा मौसम जून से लेकर अक्टूबर तक माना जाता है। इसके पूर्व और बाद में हिमपात और बर्फ पिघलने से मौसम अनुकूल नहीं रहता है। जुलाई और अगस्त में यहां फूलों की बहार दिखाई देती है। सितंबर में कम हो जाती है। सितंबर में ब्रह्मकमल की दुर्लभ प्रजाति भी दिखाई देती हैं।
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